भारत ने जो रास्ता खोजा है, उससे चीन सुलग जाएगा... यूरोप तक कहीं कोई रोक-टोक नहीं, क्या है प्लान?
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चीन के बीआरआई के जवाब में भारत व्यापार के लिए नए रास्ते खोज रहा है। ट्रांस-कैस्पियन इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट रूट यानी टीआईटीआर इसमें उसकी मदद कर सकता है। कजाकिस्तान इस मार्ग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह गलियारा चीन, मध्य एशिया, कैस्पियन सागर, काकेशस और यूरोप को जोड़ता है। भारत स्वेज नहर पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है।

नई दिल्ली: चीन के बीआरआई यानी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का प्रभाव पूरी दुनिया में बढ़ रहा है। इसके जवाब में भारत भी कुछ और रास्ते खोजने लगा है। भारत चाहता है कि वह व्यापार के लिए चीन पर कम निर्भर रहे। ऐसा ही एक रास्ता है ट्रांस-कैस्पियन इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट रूट (TITR)। इसे मध्य गलियारा या मिडिल कॉरिडोर भी कहते हैं। कजाकिस्तान इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
भारत को बीआरआई की कुछ बातें पसंद नहीं हैं। खासकर चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरता है। भारत हमेशा से सीपीईसी को लेकर अपनी चिंता जताता रहा है। भारत का कहना है कि इससे उसकी क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन होता है।
2024 में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ANI को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, 'पीओके पर हमारा रुख हमेशा से साफ रहा है। हम आपको बताना चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग हैं। वे भारत का एक अभिन्न अंग थे। वे भारत का एक अभिन्न अंग हैं और वे भारत का एक अभिन्न अंग बने रहेंगे।' उन्होंने आगे कहा था, 'CPEC पर हमारी राय आप जानते हैं। हम इसके पक्ष में नहीं हैं। हम इसके खिलाफ हैं। यह हमारी क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ जाता है।' हालांकि, अब एक और रास्ता सामने आ रहा है। यह रास्ता बीजिंग से शुरू नहीं होता, बल्कि कजाकिस्तान से शुरू होता है।
भारत को बीआरआई की कुछ बातें पसंद नहीं हैं। खासकर चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरता है। भारत हमेशा से सीपीईसी को लेकर अपनी चिंता जताता रहा है। भारत का कहना है कि इससे उसकी क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन होता है।
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